कुण्डली में जब प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव(1, 4, 7, 8 and 12th Houses)में मंगल होता है तब मंगलिक दोष लगता है | इस दोष को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है |मांगलिक दोष होने पर देरी से विवाह, संतान उत्पन्न की समस्या, तलाक, दाम्पत्य सुख में कमी एवं कोर्ट केसकी समस्याएँ आ सकती हैं ।यह दोष जिनकी कुण्डली में हो उन्हें मंगली जीवनसाथी ही तलाश करनी चाहिए ऐसी मान्यता है | ज्योतिशास्त्र में कुछ नियम बताए गये हैं जिससे वैवाहिक जीवन में मांगलिक दोष नहीं लगता है, आइये इसे जाने:-
General Cancellation Points:-
- अगर मंगल देव सूर्य के साथ Degree Wise सट के अस्त अवस्था में आ जाये यानि Dead अवस्था में आ जाये और इस प्रकार उनकी
Ray हमारी Body तक पहुँचे ही नहीं तो यहाँ पर मांगलिक दोष Cancel माना जाता हैं|
- अगर मंगल देव कुंडली में शून्य डिग्री के पड़े हो तो यहाँ पर मांगलिक दोष Cancel माना जायेगा|
- अगर मंगल देव कुंडली में 28 या 29 डिग्री के हो जो कि मृत अवस्था माना जाता है तो मांगलिक दोष यहाँ पर Cancel माना जाता है।
- अगर मंगल देवता जन्म कुंडली में योग कारक बनकर कुंडली में 1, 4, 7, 8 और 12 वें भावों में हो तो भी मांगलिक दोष यहाँ पर Cancel माना जाता है
क्योंकि योग कारक ग्रहका Definition होता है जहाँ बैठना, जहाँ जाना, जहाँ देखना उस घर की वृद्धि कर देना |
इसीलिए कैसे मंगल को यहाँ पर मंगल का दोष मान सकते हैं और मांगलिक दोष का विचार कर सकते हैं |
- अगर सात वें घर का मालिक सात वें घर में ही पड़ा हो तो यह निश्चित हो जाता है की विवाहिक सुख में कमी नहीं आएगी चाहें मंगल कहीं भी पड़ा हो।
- अगर मंगल देवता कुंडली में 1, 4, 7, 8 और 12 वें घर में हो और बृहस्पति की दृष्टि पड़ जाये तो भी मांगलिक दोष Cancel माना जाता है| हाँ एक बात बृहस्पति की डिग्री जरूर देख ले की उनका बलावल है की नहीं |
- अगर मंगल देवता (अग्नि ), चन्द्रमा (जल) के साथ बैठ जायें तो भी मंगल का दुष प्रभाव शांत हो जाता है और मांगलिक दोष Cancel हो जाता है |
- केंद्र में चंद्रमा 1, 4, 7, 10वें भाव में हो तो मांगलिकदोष दूर हो जाता है
- अगर मंगल देवता कुंडली में 1, 4, 7, 8 और 12 वें भावों में स्वराशि (Own Sign) हो जायें तो भी मांगलिक दोष नहीं माना जाता क्योंकि वें अच्छे परिणाम देने
के लिए बाध्य हो जाते हैं |
- अगर मंगल देवता आप के कुंडली में उच्च (Exalted) के बैंठे हों अर्थात मकर राशि में हों तो वे जातक के लिए बुरा करेंगे ही नहीं बल्कि अच्छे ही परिणाम देंगे |
- अगर मंगल देवता कुंडली में बृहस्पति के साथ बैठ जायें तो भी मांगलिक दोष नहीं माना जाता है |
- अगर सातवें भाव का मालिक कहीं से भी सात वें भाव पर दृष्टि डाल दे तो भी मांगलिक दोष भंग हों जाता है क्योंकि वे खुद अपने ही भाव को देखने लगता है और
इस प्रकार वे अपने भाव को बचा लेता है |
- अगर कुंडली मिलान करते वक्त 27 या इस से अधिक गुणों का मिलान हों जायें तो भी मांगलिक दोष भंग हों जाता है |
मांगलिक दोष उपचार: (Remedies for Manglik Dosha)
अगर वर वधू की कुण्डली में इस प्रकार की ग्रह स्थिति नहीं है और मंगली दोष के कारण उससे शादी नहीं कर पा रहे हैं जिसे आप जीवनसाथी बनाने की इच्छा रखते हैं तब मंगलिक दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ उपचार कर सकते हैं | ज्योतिषशास्त्र में उपचार हेतु बताया गया है जो निन्म प्रकार है:-
- अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल दोष है तो उसकी शादी मांगलिक से ही करनी चाहिए।
- यदि वर मंगली (mangli)है और कन्या मंगली नहीं तो विवाह के समय वर जब वधू के साथ फेरे ले रहा हो तब पहले तुलसी के साथ फेरे ले ले इससे मंगल दोष तुलसी पर चला जाता है और वैवाहिक जीवन में मंगल बाधक नहीं बनता है |
- अगर कन्या मंगली है और वर मंगली नहीं है तो फेरे से पूर्व भगवान विष्णु के साथ अथवा केले के पेड़ के साथ कन्या के फेरे लगवा देने चाहिए |
- पीपल विवाह, कुंभ विवाह, सालिगराम विवाह तथा मंगल यंत्र का पूजन आदि कराके जातक की शादी अच्छे ग्रह योगों वाले जातक से करा देनी चाहिए।
- जिनकी कुण्डली में मांगलिक दोष है वे अगर 28 वर्ष के पश्चात विवाह करते हैं तब मंगल वैवाहिक जीवन में अपना दुष्प्रभाव नहीं डालता है |
- हनुमान चालिसा का पाठ और गणेश पूजन तथा मंगल यंत्र की पूजा करनी चाहिए।
विशेष: किसी ज्योतिषी से चर्चा करके ही पूजन करना चाहिए। मंगल की पूजा का विशेष महत्व होता है। अपूर्ण या कुछ जरूरी पदार्थों के बिना की गई पूजा प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकती है।